उत्तराखंड के सीमांत जिले में एक बेटी ने रूढ़िवादी परंपराओं तोड़ते हुए न सिर्फ पिता की मुखाग्नि दी, बल्कि समाज की सोच बदलने के साथ ही एक मिसाल भी पेश की है, मामला सीमांत जिले पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट इलाके का है। गंगोलीहाट में बिलाड़ पट्टी के इटाना गांव निवासी 52 साल के मान सिंह पुत्र जीत सिंह बीते मंगलवार को अपने पिता का श्राद्ध करने की तैयारी में लगे थे, बताया जा रहा है कि मान सिंह सब्जी काट रहे थे, तभी अचानक से उनकी तबियत बिगड़ गई, परिजन इससे पहले कुछ समझ पाते मान सिंह का निधन हो गया, इस घटना के बाद घर में कोहराम मच गया।
मान सिंह की तीन बेटियों और एक बेटा है, मान सिंह का इकलौता बेटा राजा सऊदी अरब में नौकरी करता है, दो बेटियों की शादी हो गई है, इकलौता बेटा के इतना जल्द गांव पहुंचना संभव नहीं था, ग्रामीणों ने बताया कि परिजनों ने दो दिनों तक बेटे का इंतजार किया है, लेकिन जब बेटे के आने और देरी होने लगी तो फैसला लिया गया कि मान सिंह तीसरी बेटी कल्पना ही अपने पिता का अंतिम संस्कार करेंगी।
मान सिंह के निधन के तीसरे दिन यानी गुरुवार को बेटी कल्पना ने पूरे विधि-विधान और रीति-रिवाज से अपने पिता का अंतिम संस्कार किया, बेटी कल्पना ने सेराघाट पर सरयू नदी के किनारे पिता की चिता को मुखाग्नि दी, भावुक होकर कल्पना ने कहा कि आज उसने अपने बेटी होने का कर्तव्य निभाया।
कल्पना का कहना था कि आज उसने अपने आप को मजबूत करते हुए सामाजिक रूढ़िवादी को तोड़ने का फैसला लिया और अपने पिता को अंतिम विदाई दी, कल्पना के इस फैसले का ग्रामीण ने सराहना की, वहीं शुक्रवार शाम तक भी कल्पना का भाई राजा गांव नहीं पहुंच पाया, फोन पर बात करते हुए राजा ने बताया कि वो पिता की अंत्येष्टि पर नहीं पहुंच सका, इसका दु:ख उसे हमेशा रहेगा, लेकिन बहन कल्पना ने वो सारे फर्ज पूरे किए थे, जो उसे करने थे, बहन ने एक बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी, आज कल्पना ने बेटी होने के बाद भी बेटे का फर्ज अदा किया है, इधर अचानक पिता की हुई मौत पर पूरा परिवार दुखी हैं।