भारत-चीन सीमा पर स्थित पहले ब्राइवेंट गांव गुंजी में एक नई कहानी का आरंभ हुआ है,जहां रिटायर्ड आईपीएस विमला गुंज्याल को गुंजी का निर्विरोध ग्राम प्रधान बनाया गया है, इसके साथ ही पहले उन्होंने देश की सेवा की, अब वे गांव का विकास करेंगी, ग्रामीणों का कहना है कि एक ऊंचे पद पर आसीन रहे अधिकारी के ग्राम प्रधान बनने पर उनके गांव को एक नई दिशा मिलेगी।
दरअसल, पिथौरागढ़ के सीमांत गुंजी गांव में चार अन्य प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र खरीदा था, ग्रामीणों की आपसी सहमति और योग्य प्रतिनिधि के मिलने पर बाकियों ने नामांकन नहीं कराया, ऐसे में विमला गुंज्याल एकल नामांकन कर निर्विरोध चुनी गई, ग्रामीणों के अनुरोध पर सेवानिवृत्त आईजी आईपीएस विमला गुंज्याल धारचूला पहुंचीं, जहां ग्रामीणों ने उनका भव्य और जोरदार स्वागत किया।
ग्रामीणों ने रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी के ग्राम प्रधान बनने की सहमति को गुंजी गांव के लिए बड़ी उपलब्धि बताई, ग्रामीणों का कहना था कि सेवानिवृत्त आईजी विमला गुंज्याल की सोच सकारात्मक है, उनके व्यक्तित्व के चलते पूरा गुंजी गांव एकता की मिसाल बन चुका है, ग्रामीणों ने शनिवार के दिन को गुंजी गांव के लिए विशिष्ट दिवस बताया।
गुंजी गांव पिथौरागढ़ जिले के व्यास घाटी में धारचूला तहसील का एक छोटा सा गांव है, जो भारत-चीन और भारत-नेपाल सीमा के पास समुद्र तल से करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है, यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और सामरिक महत्व के लिए जाना जाता है, गुंजी में जनजाति समुदाय के लोग रहते हैं, जो अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं।
यहां के लोग खेती, पशुपालन और छोटे स्तर पर व्यापार करते हैं, यह इलाका सामरिक दृष्टि से काफी अहम है, यही वजह है कि यह इलाका भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की निगरानी में रहता है, सीमावर्ती इलाका होने की वजह से यहां जाने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है।