अल्मोड़ा में निजी वाहनों के टैक्सी कार्य में प्रयोग को लेकर टैक्सी मालिक सेवा समिति की नाराजगी बढ़ती जा रही है। समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र तिलारा ने हाल ही में एक पत्रकार वार्ता में इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि पिछले कुछ समय से सरकारी नौकरी में लगे शिक्षक और अन्य लोग अपने निजी वाहनों का उपयोग टैक्सी के रूप में कर रहे हैं, जो कि टैक्सी चालकों के लिए गंभीर समस्या बन गई है।
अल्मोड़ा में कई शिक्षक, जो कि सरकारी विद्यालयों में कार्यरत हैं, अपने निजी वाहनों का उपयोग करते हुए अन्य शिक्षकों को विद्यालय लाने और ले जाने का कार्य कर रहे हैं। इसके लिए वे एक तयशुदा धनराशि भी लेते हैं। यह प्रक्रिया न केवल टैक्सी चालक मालिकों के लिए आय का स्रोत सीमित कर रही है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी प्रभावित कर रही है। टैक्सी सेवाओं से मिलने वाले यात्रीकर की चोरी हो रही है, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
अल्मोड़ा जनपद में टैक्सी सेवाएँ बेरोजगारों के लिए एकमात्र आय का साधन हैं। जब सरकारी कर्मचारी अपने निजी वाहनों से टैक्सी का कार्य करने लगते हैं, तो यह स्थिति बेरोजगारों के लिए गंभीर संकट उत्पन्न करती है। यह एक बड़ा सवाल है कि जब ऐसे लोग अपने ही पेशे से जुड़े लोगों का रोजगार छीन रहे हैं।
शिक्षकों द्वारा निजी वाहनों का प्रयोग करने का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यदि इन वाहनों का कोई दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो क्या मुआवजा शिक्षा विभाग, उत्तराखंड सरकार या परिवहन विभाग द्वारा दिया जाएगा? इस तरह की जटिलताएँ न केवल शैक्षणिक क्षेत्र को बल्कि आम जनता को भी प्रभावित करती हैं। इसके अलावा, दुर्घटना की स्थिति में जनहानि होने पर परिजनों को क्या मुआवजा मिलेगा, यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
टैक्सी यूनियन का कहना है कि उन्हें न्याय दिलाने में सहयोग किया जाए ताकि वे अपने व्यवसाय को सुरक्षित और स्थायी बना सकें। इसके अलावा, यह आवश्यक है कि सरकारी अधिकारियों और विभागों द्वारा इस मुद्दे पर ध्यान दिया जाए ताकि इस समस्या का समाधान हो सके और टैक्सी सेवाओं का संचालन सुचारु रूप से किया जा सके।
गोल्ज्यू महराज के माध्यम से उम्मीद की जा रही है कि न्याय का प्रकाश इस समस्या के अंधकार में आएगा और टैक्सी चालक मालिकों को उनकी मेहनत का उचित मुआवजा मिलेगा। टैक्सी यूनियन की यह पहल न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करेगी, बल्कि अल्मोड़ा में परिवहन सेवाओं के स्थायित्व को भी सुनिश्चित करेगी।