भारत सरकार का राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण कोसी जल संकट के प्रस्तावित प्रोजेक्ट का भविष्य तय करने जा रहा है, प्रोजेक्ट के तहत पिंडर नदी को कोसी नदी के साथ जोड़ा जाना है, ताकि, बारिश आधारित इस नदी को जल संकट से मुक्त किया जा सके, जानिए दो नदियों को जोड़ने से जुड़ा प्रदेश का ये पहला प्रोजेक्ट क्यों है जरूरी? प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट पर क्यों टिका है प्रोजेक्ट का भविष्य?
कोसी नदी पर पानी के इस संकट को देखते हुए ही साल 2022 में एक ऐसे प्रोजेक्ट पर विचार किया गया, जो इस नदी के अस्तित्व को बचा सके, हालांकि, तब इस पर आगे कुछ खास नहीं हो पाया, लेकिन अब इसके लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण से प्री फिजिबिलिटी को लेकर अध्ययन करने की तैयारी की जा रही है।
इस मामले में उत्तराखंड के सिंचाई सचिव युगल किशोर पंत कहते हैं कि कोसी नदी में पानी की मात्रा बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, फिलहाल, प्री फिजिबिलिटी स्टडी को लेकर कार्रवाई गतिमान है। कोसी नदी को कुमाऊं के कई शहरों के लिए जीवनदायिनी माना जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि, अल्मोड़ा समेत आसपास के कई शहरों से होकर गुजरने वाली यह नदी न केवल यहां के पेयजल सिस्टम को ताकत देती है, बल्कि सिंचाई के लिए भी इस नदी का बेहद अहम रोल है।
कोसी नदी में 1500 से ज्यादा बरसाती नाले इसे बड़ी नदी की शक्ल देते हैं, लेकिन अब तमाम रिचार्ज जोन के अलावा बरसाती नाले भी विलुप्त हो रहे हैं, जिसके चलते इसका असर नदी में पानी की मात्रा पर पड़ रहा है। वैसे यह नदी अल्मोड़ा शहर के अलावा नैनीताल जिले से होते हुए उत्तर प्रदेश तक पहुंचती है, कोसी नदी अकेले ही सिर्फ उत्तराखंड में 15 से 20 लाख लोगों के लिए पेयजल के साथ ही सिंचाई का पानी उपलब्ध कराती है, यानी इस नदी में पानी की मात्रा कम होना न केवल अल्मोड़ा शहर बल्कि, नैनीताल और उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों के लिए भी बड़ी चिंता बन गया है।
मौजूदा बरसात के मौसम में आसपास के क्षेत्र में भारी बारिश के कारण इस नदी में पानी को लेकर कुछ राहत भरी स्थिति दिखाई दी है, लेकिन इसे लंबे समय तक की राहत के रूप में नहीं देखा जा रहा, क्योंकि, बरसात में नदी पानी से लबालब हो जाती है, लेकिन बाकी दिनों जलस्तर बेहद कम हो जाता है।
कोसी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण प्रस्ताव तैयार किया गया था, इसके तहत पिंडर नदी को कोसी के साथ इंटरकनेक्ट करने की योजना बनाई गई थी, प्रस्ताव ये था कि ग्लेशियर नदी के रूप में बहने वाली पिंडर नदी जो 12 महीने पानी से लबालब रहती है, उसक कुछ पानी कोसी नदी में डायवर्ट किया जाए, पिंडर नदी पिंडारी ग्लेशियर से निकलती है, जो कि कुमाऊं मंडल के बागेश्वर में स्थित है।
कोशिश ये की जा रही है कि बागेश्वर से निकलकर चमोली की तरफ जाने वाली इस नदी को यहां से टनल के माध्यम से कोसी नदी में जोड़ा जाए, नदी के निर्धारित जल को ही कोसी नदी में टनल के माध्यम से भेजने का प्रस्ताव है, ताकि, कोसी नदी में भी पानी की मात्रा बढ़े और पिंडर नदी का स्वरूप भी बेहतर रहे।