दिवाली की रात पटाखे छोड़ने में लापरवाही लोगों को भारी पड़ी। दून हाॅस्पिटल और कोरोनेशन अस्पताल में कुल 104 लोग झुलसकर पहुंचे। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी सौ के करीब लोग पहुंचे। इतना ही नहीं, मंगलवार को भी कई अस्पतालों की ओपीडी में पटाखों से झुलसे मरीज पहुंचे। सड़क हादसे और मारपीट की घटनाओं में भी सौ के करीब लोग घायल हुए।
दून अस्पताल के इमरजेंसी-नोडल अफसर डॉ. अमित अरुण के मुताबिक, सोमवार की रात 461 मरीज इमरजेंसी पहुंचे। ईएमओ डॉ. नवजोत सिंह की अगुवाई में डॉक्टर अलर्ट रहे और ऐसे मरीजों को तत्काल उपचार दिया गया। 54 लोग पटाखों से झुलसे थे। हालांकि, किसी को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। ज्यादातर लोग अनार एवं चरखी से झुलसे थे। 26 केस लड़ाई-झगड़े से जुड़े थे और 46 मामले सड़क हादसों से जुड़े थे। डॉ. अमित के मुताबिक, कई मरीज सांस, पेट की खराबी एवं बीपी-शुगर में बढ़ोतरी समेत तमाम स्वास्थ्य समस्याओं से भी परेशान होकर आए। हालांकि, इनमें से करीब 35 मरीजों को भर्ती किया गया।दूसरी ओर, कोरोनेशन अस्पताल के ईएमओ डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि दिवाली की रात 110 मरीज इमरजेंसी पहुंचे। जबकि, पचास मरीज पटाखों से झुलसे थे। उन्होंने बताया कि मारपीट से जुड़े 20 मामले थे और 40 अन्य केस भी सामने आए।
देहरादून और इसके आसपास के क्षेत्रों में दीपावली की रात आग की सर्वाधिक 12 घटनाएं दर्ज की गईं। धर्मावाला में एक दुकान, निरंजनपुर मंडी की छत पर रखे सामान में आग लगी। हरभज मेहूंवाला और चंद्रबनी में कबाड़ में आग लगी। सरस्वती विहार में एक घर और कार में आग लगी। विकासनगर के डाकपत्थर और विनोद विहार में दो जगह आग पर दमकल विभाग ने नियंत्रण पाया।
दीवाली की रात उत्तराखंड में 66 जगह आग की घटनाएं सामने आईं। गनीमत रही कि किसी भी घटना में कोई बड़ी जनहानि या भारी नुकसान नहीं हुआ। दमकल विभाग की तत्परता और पूर्व तैयारियों के चलते ही समय रहते हुए अधिकतर घटनाओं पर काबू पा लिया गया।
फायर सर्विस मुख्यालय के अनुसार, वर्ष 2024 की तुलना में इस बार आग की घटनाओं में कमी आई। राज्यभर में कुल 129 जगह फायर यूनिट की विशेष तैनाती की थी, जिससे आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सकी। जन-जागरूकता, सोशल मीडिया के जरिये लोगों को जागरूक किया था।
ऋषिकेश में आग की सात घटनाएं हुईं। डोईवाला में आतिशबाजी से दो छोटी दुकानों में आग लगी। रुड़की एवं भगवानपुर में भी आग लगी। कोटद्वार के सिब्बूनगर में एक रेस्टोरेंट जल गया। दूसरी ओर, पौड़ी, गोपेश्वर, नैनीताल, हल्द्वानी रुद्रपुर, टनकपुर और बाजपुर में आग की घटनाएं सामने आईं।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील ओझा ने बताया कि ओपीडी में कई ऐसे मरीज आए, जिनकी आंखों में पटाखे का बारूद और धुआं भी चला गया था। इमरजेंसी में 25, ओपीडी में 55 मरीज पहुंचे, जहां उनको कुछ दवाई दी गई है। इसके अलावा स्किन की दिक्कतों से जुड़े कई मरीज भी आए। दून अस्पताल की इमरजेंसी में दिवाली की रात करीब 461 मरीज पहुंचे। इस कारण लोगों की डॉक्टरों और कर्मचारियों से इलाज कराने को लेकर नोक झोंक होती रही।
कोरोनेशन अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. आरके टम्टा ने बताया कि इमरजेंसी के बाद मंगलवार को ओपीडी में भी पटाखों से झुलसे लोग पहुंचे। 100 मरीजों की ओपीडी में 35 मरीज अनार से झुलसे थे। अधिकांश के हाथ जले थे और दो के चेहरे भी झुलसे। वे अनार जलाते समय जले और लाइटर या माचिस से पटाखे जला रहे थे।

			

