सितम्बर, 2025 को भाकृअनुप–विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा प्रक्षेत्र हवालबाग स्थित सभागार में ‘‘राज्य से सम्बन्धित प्राथमिकताएं – कृषि शोध योग्य मुद्दे एवं रोडमैप पर परामर्श बैठक’’ के साथ-साथ आगामी विकसित कृषि संकल्प अभियान (03 से 18 अक्टूबर, 2025) की चर्चा हेतु बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का शुभारम्भ परिषद् गीत से हुआ। तत्पश्चात् संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त द्वारा सभी गणमान्यों का स्वागत कर उन्हें इस परामर्श बैठक की अवधारणा से अवगत कराया गया।
बैठक के मुख्य अतिथि डॉ. एस. पी. दास, निदेशक, भाकृअनुप-आर्किड पर अनुसंधान केन्द्र, सिक्किम ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड एवं हिमाचल प्रदेश की जलवायु विभिन्न पुष्प प्रजातियों के उत्पादन एवं संवर्धन हेतु अनुकूल है। अत: भाकृअनुप-आर्किड पर अनुसंधान केन्द्र, सिक्किम एवं भाकृअनुप–विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के समन्वय से पुष्प उत्पादन में वृद्धि कर इन क्षेत्र के कृषकों का आजीविका संवर्धन किया जा सकता है। उन्होंने इस विषय पर प्रस्तुतिकरण कर अपने केन्द्र से सभी प्रकार के सहयोग देने हेतु आश्वासन दिया।
डॉ. रमेश सिंह नितवाल, अतिरिक्त निदेशक, पशुपालन, कुमाउॅ मण्डल ने पशुपालन पर चर्चा करते हुए कहा कि कृषकों की आय बढ़ाने हेतु कृषि के साथ पशुपालन को भी अपनाना होगा जिससे कृषकों की आजीविका में सुधार हो सके। उनके द्वारा पशुओं के विभिन्न रोगों एवं उनके टीकाकरण के विषय में भी विस्तृत जानकारी दी गयी। उनके अनुसार उत्तराखण्ड के किसानों के विकास हेतु चारा के पोषक मान एवं उपलब्धता को बढ़ाना आवश्यक होगा।
डॉ. निपेन्द्र चौहान, सहायक निदेशक, सुगंधित पौध केन्द्र, देहरादून ने जंगली जानवरों से बचाव हेतु तार-बाड़ निर्माण, भांग की प्रजाति का विकास के साथ ही जंगली जानवरों से बचाव हेतु तिमूर, गुलाब, मिन्ट एवं सिट्रोनेला की खेती पर जोर दिया। डॉ. के. एस. पन्त, निदेशक अनुसंधान, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार ने बताया कि विश्वविद्यालय पर्वतीय किसानों के उत्थान हेतु शोध कार्यों में संलिप्त है। साथ ही अखरोट की प्रजाति के विकास हेतु रोगरोधी रूटस्टॉक का उत्पादन कर रहा है।
डॉ. नरेन्द्र कुमार, मुख्य उद्यान अधिकारी, अल्मोड़ा ने अपने वक्तव्य में जलवायु सहिष्णु बागवानी एवं सब्जी फसलों के प्रजाति विकास पर ध्यान आकृष्ट करते हुए उत्तराखण्ड में ‘हार्टी टूरिज्म’ को बढ़ावा देने को कहा।
डॉ. अरूण किशोर, प्रमुख, केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, मुक्तेश्वर ने अपने संस्थान द्वारा विकसित सेब एवं अखरोट की विभिन्न प्रजातियों के बारे में बताया। डॉ. के. एम. रॉय, प्रभारी, राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, क्षेत्रीय स्टेशन, भवाली ने खरीफ में आयोजित विकसित कृषि संकल्प अभियान के अन्तर्गत प्राप्त कृषकों की समस्याओं से सभी को अवगत कराया।डॉ. बांके बिहारी, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने विभिन्न फसलों में लगने वाले विभिन्न रोगों एवं कीटों के बारे में अवगत कराते हुए अपने संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों की जानकारी दी। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, मुक्तेश्वर के प्रतिनिधि द्वारा पर्वतीय पशुधन के संरक्षण एवं उनके रहने हेतु पशुगृह के डिजाइन के विकास करने की आवश्यकता को बताया गया।
इसके अतिरिक्त विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं विभागों के प्रतिनिधियों द्वारा अपने विचार रखे गए। इस बैठक के दौरान ‘हिमालय को कैसे बचाया जाऐ’ विषय पर भी गहन चर्चा की गयी। अन्त में संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त द्वारा दिए गए विभिन्न विचारों को समायोज्य कर कृषि शोध योग्य मुद्दे एवं रोडमैप की रूपरेखा तैयार की गयी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुशाग्रा जोशी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं धन्यवाद प्रस्ताव प्रभागाध्यक्ष, फसल सुधार डॉ. निर्मल कुमार हेडाउ द्वारा दिया गया।