अल्मोड़ा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में ‘‘हिन्दी की सार्वभौमिकता’’ विषय पर दिनांक 19 सितम्बर, 2025 को एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला संस्थान के सभागार में उत्साहजनक वातावरण में संपन्न हुई।
कार्यक्रम का शुभारम्भ परिषद गीत से हुआ, जिसने वातावरण को प्रेरणादायी बना दिया। तत्पश्चात प्रभागाध्यक्ष, फसल सुधार डॉ. निर्मल कुमार हेडाउ ने सभागार में उपस्थित कार्यशाला के अध्यक्ष एवं संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त, मुख्य वक्ता श्री प्रकाश चन्द्र जोशी एवं सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता श्री प्रकाश चन्द्र जोशी, अवकाश प्राप्त प्रवक्ता (हिन्दी), रैमजे इंटर कॉलेज, अल्मोड़ा ने ‘‘हिन्दी की सार्वभौमिकता’’ विषय पर विस्तृत और ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि ‘‘हिन्दी ने देश को एक सूत्र में पिरोया है और इसे वर्तमान स्वरूप दिलाने के लिए हमारे पूर्वजों ने अनगिनत संघर्ष किए हैं।’’ उन्होंने हिन्दी की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी सुगम, सरल, सबको समझ आने वाली और व्यावहारिक भाषा है। उनके अनुसार महात्मा गांधी ने भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रबल समर्थन किया था। श्री जोशी ने क्रमबद्ध ढंग से हिन्दी के इतिहास, विकास यात्रा और उसे राजभाषा का दर्जा मिलने तक के महत्वपूर्ण पड़ावों को अत्यंत रोचक और सहज शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम अपने दैनिक व्यवहार, प्रशासनिक कार्यों एवं वैज्ञानिक अनुसंधान में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाएँगे तो इससे न केवल कामकाज सुगम होगा बल्कि हिन्दी के प्रति जनमानस में विश्वास और प्रतिबद्धता भी मजबूत होगी। उन्होंने हिन्दी के प्रति जनता के कर्तव्यों और दायित्वों की ओर भी ध्यान दिलाया और कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक एकता की आधारशिला है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं उसके व्यवहारिक उपयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि भाषा के बिना संचार अधूरा है, इसलिए किसी भी संस्थान की कार्यक्षमता को बढ़ाने में राजभाषा का प्रयोग अनिवार्य है। डॉ. लक्ष्मी कान्त ने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं, जिससे हिन्दी की पहुँच और अधिक व्यापक हुई है। उन्होंने सभी को प्रेरित करते हुए कहा कि राजभाषा हिन्दी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान सीधे धरातल पर काम करने वाला संस्थान है, जहाँ के कृषक अपनी मातृभाषा में ही कृषि विज्ञान की प्रगति को समझ सकते हैं। अतः स्थानीय और राजभाषा दोनों का समन्वय कृषि अनुसंधान को किसानों तक पहुँचाने में और अधिक प्रभावी होगा।
इस अवसर पर संस्थान के सभी विभागाध्यक्ष, अनुभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, अधिकारी, तकनीकी, प्रशासनिक एवं सहायक वर्ग के कार्मिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजभाषा प्रभारी अधिकारी, श्रीमती रेनू सनवाल ने कुशलतापूर्वक किया। कार्यशाला के समापन पर वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. रमेश सिंह पाल ने आभार ज्ञापित करते हुए सभी के योगदान और सहभागिता के लिए धन्यवाद व्यक्त किया।
गौरतलब है कि वर्तमान में संस्थान में ‘‘हिन्दी उत्सव पखवाड़ा’’ भी मनाया जा रहा है। इसी क्रम में कार्यशाला के दिन, दिनांक 19 सितम्बर, 2025 को ‘‘टिप्पण एवं प्रारूप लेखन प्रतियोगिता’’ का भी आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में संस्थान के वैज्ञानिकों, तकनीकी और प्रशासनिक वर्ग के कार्मिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता ने न केवल कार्मिकों की अभिव्यक्ति क्षमता को उजागर किया बल्कि उनके लेखन कौशल को भी प्रदर्शित किया।
इस प्रकार, एक दिवसीय कार्यशाला और प्रतियोगिता ने हिन्दी के महत्व, उसके प्रचार-प्रसार और व्यवहारिक प्रयोग पर सभी को नए दृष्टिकोण प्रदान किए। कार्यशाला ने यह संदेश दिया कि हिन्दी केवल संचार का साधन नहीं बल्कि भारत की एकता, संस्कृति और प्रगति की जीवनधारा है।