हल्द्वानी के गौलापार में करोड़ों की लगात से बना इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम बदहाली का रोना रो रहा है। स्टेडियम की हालत बद से बदतर होती जा रही है। हैरानी की बात है कि करोड़ों के स्टेडियम के रखरखाव पर ढेला भी खर्च नहीं हुआ है। आलम यह है कि स्टेडियम बंदरों और कबूतरों का अड्डा बन गया है।
हल्द्वानी के गौलापार में करीब 176 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2016 में इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स स्टेडियम का निर्माण किया गया। इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाना था। स्टेडियम बनने के करीब छह साल बाद वर्ष 2022 में खेल विभाग को हस्तांतरित हुआ। उपेक्षा और रखरखाव पर ध्यान नहीं देने से स्टेडियम की दर्शक दीर्घा में कई स्थानों पर पीपल के पेड़ उग गए हैं। दर्शक दीर्घा में गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
पवेलियन की छत से पानी अंदर बने कमरों आदि में पहुंच रहा है। स्टेडियम में लगाए अधिकतर एसी खराब चल रहे हैं। स्टेडियम के कमरों और दर्शकदीर्घा में बंदरों का तांडव है। बंदर स्टेडियम के चारों ओर लगाए गए फाइबर आदि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। स्टेडियम के एक हिस्से की छत भी टूट गई है जिससे अंदर पानी घुस रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रवेश के लिए छह से अधिक गेट बनाए गए हैं। मानसून सीजन के कारण हर जगह घास ही घास जमी हुई है। इससे स्टेडियम खेल मैदान न दिखकर घास का मैदान (बु्ग्याल) लग रहा है। इसके बाद भी इसे ठीक करने के लिए सरकार कोई पहल नहीं कर रही है। खेलप्रेमी नीरज जंतवाल, गौरव जोशी, विशाल नेगी आदि का कहना है कि जिस उद्देश्य के साथ अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनाया गया था ।
उद्देश्य पूरा होना चाहिए। शीघ्र स्टेडियम को ठीक नहीं किया गया तो वह धीरे-धीरे पूरा बदहाल हो जाएगा। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम में हॉकी, फुटबॉल ग्राउंड और स्वीमिंग पुल बनाने का कार्य किया जा रहा है। इनका निर्माण कार्य पूरा होने के बाद फिर अन्य कार्य भी कराए जाएंगे।

			

