उत्तराखंड में शिक्षकों का आंदोलन रोकने में असफल रहे शिक्षा विभाग ने अब चेतावनी जारी की है, बेहद कड़े लहजे में सचिव शिक्षा ने शिक्षकों के आंदोलन के खिलाफ पत्र लिखकर हर हालत में इसे रुकवाने के निर्देश दिए हैं, उधर पत्र जारी होने के बाद शिक्षक और भी ज्यादा आक्रोशित होकर आंदोलन के लिए तैयारी में जुट गए हैं।
प्रदेश में शिक्षकों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है, फिलहाल शिक्षक संघ चरणबद्ध तरीके से कार्य बहिष्कार कर रहे हैं और आने वाले दिनों में इस आंदोलन को आगे बढ़ाए जाने की भी बात कही गई है, खास बात यह है कि इस आंदोलन को लेकर पूर्व में ही राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग को जानकारी दे दी थी, इसके बावजूद शिक्षा महानिदेशालय से लेकर शासन स्तर तक भी इस आंदोलन को रोक पाने में कामयाब साबित नहीं हो पाए।

उधर अब शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने शिक्षकों के इस आंदोलन को रोकने के लिए शिक्षा महानिदेशक को एक पत्र भेजा है, जो शिक्षकों के गुस्से की वजह बन गया है, शिक्षकों को मनाने में नाकामयाब शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अब राजकीय शिक्षक संघ पर कड़ा रुख अपना कर आंदोलन को रोकने का प्रयास किया है, शिक्षा सचिव ने महानिदेशक शिक्षा को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि विभाग में सरकारी कार्यालय में धरना प्रदर्शन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए और इन निर्देशों के बावजूद भी यदि राजकीय शिक्षक संघ के पदाधिकारी और शिक्षक आंदोलन करते हैं तो ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाए।
शिक्षा सचिव का यह पत्र सामने आते ही शिक्षकों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है, शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह के अनुसार शिक्षकों को डराने की जो कोशिश हो रही है, उससे यह आंदोलन खत्म नहीं होने वाला है, यही नहीं, जिस तरह से शिक्षकों को डराने के लिए यह पत्र लिखा गया है, उसके बाद आंदोलन को हड़ताल में बदलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
राज्य में राजकीय शिक्षक संघ पदोन्नति और स्थानांतरण के साथ प्रधानाचार्य के पदों को शत प्रतिशत पदोन्नति से भरने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, इसमें 18 अगस्त से 9 सितंबर तक चरणबद्ध तरीके से कार्य बहिष्कार करने का निर्णय पूर्व में ही लिया जा चुका है, जबकि इसके बाद इस आंदोलन को आगे बढ़ाए जाने का भी फैसला हुआ है।
जाहिर है कि इस स्थिति से विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पर इसका असर पड़ रहा है, लेकिन शिक्षक संघ का कहना है कि इसके लिए शिक्षा महानिदेशालय और शासन जिम्मेदार है, क्योंकि कई बार अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है, यह भी साफ किया गया है कि कर्मचारियों पर कार्रवाई का डर दिखाकर जिस तरह से आंदोलन को दबाने की कोशिश की गई है, उससे यह आंदोलन खत्म नहीं होगा।