उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के मशहूर बिल्डर व उद्योगपति सुधीर कुमार विंडलास की तीसरी जमानत याचिका पर सुनवाई की, मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने सुधीर विंडलास को कोई राहत नहीं देते हुए उनकी तीसरी जमानत प्रार्थना पत्र को आधारहीन पाते हुए निरस्त कर दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पहले भी अन्य कोर्टों ने तथ्यों को आधारहीन पाते हुए उनकी दो जमानत याचिकाएं निरस्त की हैं, इसलिए तीसरी जमानत में कोई नया नहीं है, इसलिए न्यायालय इसे भी निरस्त करता है, जहां तक उनके स्वास्थ्य का सवाल है, जेल प्रशासन उसके लिए उन्हें ट्रीटमेंट दे रहा है, जबकि ये अपराध के मुख्य आरोपी है, इसकी जांच सीबीआई कर चुकी है।
बता दें कि पूर्व में भी सुधीर कुमार विंडलास द्वारा शॉर्ट टर्म जमानत के लिए आवेदन किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी उम्र 72 साल की हो चुकी है, उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, कोर्ट के आदेश पर जेल के द्वारा उनका उपचार हिमालयन हॉस्पिटल देहरादून में हो रहा है, इसलिए उनकी जमानत याचिका पर शीघ्र सुनवाई की जाय, ताकि वे इस केस से बरी हो सके।
आगे यह भी कहा है कि जिन लोगों ने उन्हें फंसाया है, वे भी जेल में बंद है, उन लोगों के द्वारा फर्जी दस्तावेज बनाकर उनकी छवि को खराब किया, जबकि वे देहरादून के एक सम्मानित कारोबारी हैं, उनके द्वारा किसी तरह का फ्रॉड नहीं किया, बल्कि उल्टा उनके पर फर्जी तरीके से जमीन की सेल डीड अर्जित की गई है, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
गौरतलब हो कि फर्जी जमीन की एक शिकायत पर राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई से कराई थी, सीबीआई की जांच के बाद विंडलास और उसके तीन साथी इस जालसाजी में आरोपी पाए गए, जिसके बाद 21 दिसंबर 2023 में सीबीआई ने सुधीर विंडलास को गिरफ्तार किया था, सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में मुकदमा चलने के बाद विंडलास को कोई राहत नहीं मिली, जिसे उनके द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत प्रार्थना पत्र पर कई बार सुनवाई करते हुए उसे निरस्त कर दिया।