उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर का प्रतिष्ठित कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के धनगढ़ी गेट स्थित कॉर्बेट इंटरप्रिटेशन सेंटर अब डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और कदम बढ़ा चुका है, पर्यटकों की सुविधा और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए अब यहां क्यूआर कोड के माध्यम से डिजिटल टिकट बुकिंग की सुविधा शुरू कर दी गई है, अब तक इस सेंटर में प्रवेश के लिए मैन्युअल तरीके से मौके पर ही परमिट जारी किए जाते थे, जिससे पर्यटकों को लंबी कतारों और समय की परेशानी का सामना करना पड़ता था, अब यह पूरी प्रक्रिया डिजिटाइज हो गई है।
पर्यटक गेट पर लगे QR कोड को अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर UPI के माध्यम से टिकट शुल्क का भुगतान कर सकते हैं, जिसके बाद उन्हें डिजिटल टिकट उनके फोन पर प्राप्त हो जाएगा, यह टिकट रिजर्व के कर्मचारी स्कैन कर उन्हें म्यूजियम में प्रवेश देंगे, कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी ने बताया कि हर वर्ष इस म्यूजियम में 80,000 से अधिक पर्यटक आते हैं, इससे सरकार को 75 से 80 लाख रुपये तक का राजस्व प्राप्त होता है, उन्होंने कहा यह नई डिजिटल बुकिंग सुविधा न केवल बुकिंग प्रक्रिया को सुगम, पारदर्शी और पेपरलेस बनाएगी, बल्कि यह कर्मचारियों को भी पर्यटकों के प्रवेश को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद करेगी।
एक और बड़ी सुविधा यह है कि पर्यटक अब एक सप्ताह पूर्व तक QR कोड स्कैन कर अग्रिम बुकिंग भी कर सकते है, इससे योजना बनाने और समय प्रबंधन में काफी सहूलियत मिलेगी. प्रवेश शुल्क इस प्रकार है – भारतीय नागरिक ₹100 प्रति व्यक्ति,विदेशी नागरिक ₹200 प्रति व्यक्ति, 12 से 18 वर्ष आयु के बच्चे ₹25 मान्य, पहचान पत्र वाले छात्र (18+) ₹50 वरिष्ठ नागरिक 50 रुपये।
बता दें यह देश का पहला वन्यजीव इंटरप्रिटेशन सेंटर है, जो पर्यटकों को बाघ, तेंदुआ, हाथी, भालू, हिरण सहित कई अन्य वन्यजीवों के बारे में विस्तृत जानकारी देता है, सेंटर में कॉर्बेट के जंगल, नदियों और जैव विविधता को दृश्य रूप में दर्शाया गया है, इस सेंटर की खास बात यह है कि इसमें एक 36 सीटों वाला अत्याधुनिक 3 डी थियेटर है, जहां पर्यटकों को वन्यजीवों पर आधारित रोमांचक फिल्में दिखाई जाती हैं, यही नहीं सेंटर में एक सेल्फी जोन भी बनाया गया है, जहां टाइगर और पक्षियों की आकृतियों के साथ पर्यटक यादगार तस्वीरें खींच सकते हैं।
कॉर्बेट इंटरप्रिटेशन सेंटर पर्यटकों को ऐसा अनुभव कराता है जैसे वे पार्क के भीतर ही हों और यहां जंगल की रात में जानवरों की आवाजें सुनने का वास्तविक अनुभव भी दिया जाता है, कॉर्बेट प्रशासन का यह प्रयास न केवल पर्यटकों के अनुभव को और बेहतर बनाएगा बल्कि डिजिटल उत्तराखंड और डिजिटल इंडिया के सपने को भी मजबूत करेगा।