देहरादून में आज 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य अपना स्थापना दिवस मना रहा है, आज उत्तराखंड अपनी स्थापना के 24 वर्ष पूरे करके 25 वर्ष में प्रवेश कर गया है, बीते 24 सालों में उत्तराखंड का फाइनेंशियल सफर किस तरह से रहा है और कैसे विरासत में मिले कर्ज के बोझ को ढोते हुए भी उत्तराखंड ने आर्थिकी के क्षेत्र में एक लंबी छलांग मारी है, जानते हैं इस स्पेशल रिपोर्ट में।
विरासत में मिला था कर्ज में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद अंतरिम सरकार में जब वित्त मंत्री के रूप में डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने 2001 में उत्तराखंड राज्य का पहला बजट पेश किया था, तो उसमें कुल व्यय 4,505.75 करोड़ (4 हजार 505 करोड़ 75 लाख) और राजस्व प्राप्ति 3,244.71 करोड़ (3 हजार 244 करोड़ 71 लाख) प्रस्तावित थी, यानी कि उत्तराखंड को 1,750 करोड़ (1 हजार 750 करोड़) का घाटा विरासत में मिला था, इस तरह से उत्तराखंड राज्य ने ओवरड्राफ्ट के साथ अपनी फाइनेंशियल जर्नी शुरू की थी, यही नहीं उत्तराखंड को विरासत में 4,500 करोड़ का भारी भरकम कर्ज भी उठाना पड़ा था।
हालांकि इन 23-24 सालों के सफर के बाद अगर इस बार के बजट सत्र की बात करें, तो वित्त मंत्री के रूप में प्रेमचंद अग्रवाल ने 27 फरवरी 2024 को देहरादून विधानसभा में 89,000 करोड़ का बजट सदन में पेश किया, ये एक सरप्लस बजट था, यानी कि इसमें कोई वित्तीय घाटा नहीं था, दूसरी तरफ अगर कर्ज की बात की जाए, तो यह बढ़कर अब इस वित्तीय वर्ष में 80,000 करोड़ हो गया है, हालांकि पिछले 5 साल में कर्ज बढ़ने की यह सबसे कम दर है।