अल्मोड़ा मेडिकल कालेज की बड़ी उपलब्धि 125 दिन वेंटिलेटर मे रहने के बाद शिशु स्वस्थ डिस्चार्ज

अल्मोड़ा राजकीय मेडिकल कालेज अल्मोड़ा के शिशु एवम बाल रोग विभाग द्वारा शिशु चिकित्सा मे नया कीर्तिमान स्थापित किया है जो शिशु चिकित्सा के इतिहास मे मील का पत्थर साबित होगा, धौलादेवी विकास खण्ड के काण्डा नौला दौलिगाड़ निवासी 22 वर्षीय सपना पत्नी कृष्ण कुमार टमटा ने 21 फरवरी 2025 को गर्भावस्था के सात माह मे समय पूर्व जुड़वा बच्चों को जन्म दिया समय पूर्व प्रसव एवम कम वजन के कारण एक बच्चा ही जीवित रह सका था, लेकिन बेहद कम वजन, सांस लेने मे तकलीफ और अन्य सम्स्याओं के कारण बच्चे को बाल रोग विभाग के नवजात गहन चिकित्सा इकाई(NICU) मे भर्ती किया गया।

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चिकित्सा अधीक्षक एवं बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि बच्चा समय से पहले पैदा होने और अत्यधिक कम वजन होने के कारण बच्चे को उपचार हेतु सघन निगरानी मे भर्ती किया गया, परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण माता पिता अन्यत्र उपचार करने मे सक्षम नहीं थे, अस्पताल के स्टाफ एवम कुछ स्थानीय दान दाताओं के सहयोग से बच्चे का उपचार जारी रखा गया, परिजनों द्वारा रक्तदान करने मे असमर्थता जताने पर रक्त केंद्र द्वारा स्वैच्छिक रक्त दाताओं के माध्यम से पूरी अवधि में 18 बार रक्त उपलब्ध करवाया गया,
बीमार नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) के कंसल्टेंट्स डॉ बी एल जायसवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ गौरव पांडेय, सीनियर रेजिडेंट डॉ हर्ष गुप्ता , एवं विभाग के समस्त जूनियर रेजिडेंट की टीम ने पूरे मनोयोग के साथ बच्चे का उपचार किया।

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नर्सिंग इंचार्ज एकता सिंह एवम नीलिमा पीटर के निर्देशन में एस एन सी यू के नर्सिंग अधिकारियों की दिन रात की मेहनत और देखभाल के बाद 125 दिन बाद शिशु को जीवन रक्षक उपकरणों से बाहर लाने मे सफलता मिल सकी। आज 22-07-2025 को बच्चे की स्थिर स्थिति के बाद माता पिता के अनुरोध पर बच्चे को डिस्चार्ज कर माता पिता के सुपुर्द किया गया, और खुशियों की सवारी के माध्यम से घर भेजा गया, इस अवसर पर मौजूद डॉ उज्मां, स्वास्थ्य शिक्षक प्रियंका बहुगुणा, नर्सिंग अधिकारी दीपा, सीमा, उमा, सुनीता, सुष्मिता, मीनाक्षी ,भारती, सहयोगी स्टाफ दया, मेघा आदि की आँखे खुशी से नम हो गयी।

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ज्ञातव्य है कि किसी नवजात शिशु के इतनी अवधि तक वेंटिलेटर मे रहने के बाद पूर्णतः स्वस्थ्य होने के उदाहरण बहुत कम हैं, बच्चे का वजन 800 ग्राम से 2500 ग्राम तक पहुँचना भी बडी सफलता है, यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि बच्चे के परिवार मे वरिष्ठ सदस्य न होने और एकल परिवार होने के कारण बच्चे की दवा, दूध, और नियमित देखभाल की व्यवस्था विभागाध्यक्ष डॉ अमित कुमार सिंह द्वारा की गयी, बाल रोग विभाग की इस उपलब्धि एवम मानवीय कार्य के लिए प्राचार्य डॉ सी पी भैंसोडा ने पूरे विभाग की सराहना की है।

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