अल्मोड़ा का नंदा देवी मेला एक समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाला आयोजन है। इसका इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है, जब कुमाऊँ के चंद वंश के शासकों ने इसे शुरू किया था। चंद वंश के शासक नंदा दे वी को अपने कुलदेवी के रूप में पूजते थे, और उन्होंने नंदा देवी के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए इस मेले की परंपरा शुरू की।
जिसमें देवी नंदा और सुनींदा की पूजा की जाती है, जो कि हिमालय की प्रमुख देवियों में से एक मानी जाती हैं। नंदा देवी को शक्ति, प्रकृति और संरक्षण की देवी के रूप में पूजने की परंपरा रही है, और इस मेले का मुख्य उद्देश्य देवी के प्रति आस्था और भक्ति का प्रदर्शन करना था।
आज नंदाष्टमी के दिन लाखो श्रद्धालु मा पूजा अर्चना करते हैऔर लोगो मनोकामनाएं पूर्ण होती है शनंदा देवी का ऐतिहासिक मेला विधिवत पूजन के साथ इसका आगज होता है केले की खाँम को लेकर देवी नंदा-सुनंदा की मूर्ति स्वरूप देकर चंद राजवंशों के विधि विधान व अनुष्ठान से पूजा अर्चना की जाती है।