हरेला पर्व:सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के हरेला पीठ और केंद्रीय संचार ब्यूरो,नैनीताल के संयुक्त तत्वावधान में हरेला पर्व:सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक तथा प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी दृश्यकला संकाय के सभागार में आयोजित हुई। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रूप में प्रो शेखर चंद्र जोशी (अधिष्ठाता छात्र कल्याण), विशिष्ट अतिथि रूप में पूर्व कुलपति एवं संकायाध्यक्ष (कला) प्रो जगत सिंह बिष्ट,कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ( निदेशक), मुख्य वक्ता प्रो देव सिंह पोखरिया, मुख्य वक्ता डॉ पी एस नेगी(पूर्व वैज्ञानिक DRDO),प्रो सुशील कुमार जोशी (संकायाध्यक्ष,विज्ञान), संगोष्ठी के संयोजक डॉ प्रीति आर्या , डॉ तेजपाल सिंह आदि ने दीप प्रज्ज्वलित किया। आयोजकों द्वारा अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। संगीत विभाग के विद्यार्थियों के साथ प्रसारण मंत्रालय के कलाकारों ने अतिथियों का स्वागत गान एवं रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

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कार्यक्रम का डॉ तेजपाल सिंह और केन्ड्रॉय संचार ब्यूरो की डॉ श्रद्धा गुरुरानी ने संयुक्त रूप से संचालन किया।
पीठ की निदेशक एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ प्रीति आर्या ने संगोष्ठी से परिचय कराते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। हरेला पीठ का कार्यवृत्त डॉ बलवंत आर्या ने प्रस्तुत किया। बीज वक्तव्य देते हुए प्रो देव सिंह पोखरिया ने कहा कि हरेला का लोकजीवन में विशेष महत्व है। वैदिक-पौराणिक काल से देखें तो हरियाली का उल्लेख हुआ है। कृषि,पशुचारण जीवन से यह पर्व संबंधित है। ये हमारी धरोहर हैं। जैव विविधता, पर्यावरण की दृष्टि से यह पर्व बहुत महत्वपूर्ण है।

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विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व कुलपति /संकायाध्यक्ष (कला) प्रो जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि लोक और विज्ञान का संबंध बहुत गहरा है। विज्ञान का मार्ग भी लोक से होकर गुजरता है। हरेला पीठ के संबंध में उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय संस्कृति, इतिहास , भूगोल,पर्यावरण आदि विषयों को जानने के लिए हरेला पीठ स्थापित हुई है जिसके अंतर्गत कई कार्यक्रमों का संचालन हो रहा है। हरेला पीठ, हरेला पर्व समेत उत्तराखंड के सांस्कृतिक, धार्मिक, पर्यावरण जैसे विषयों के साथ विज्ञान के विषयों को लेकर भी अध्ययन कर रहा है। इन्ही उद्देश्यों को लेकर पीठ आगे बढ़ रहा है।

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राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को लेकर उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों की साधना के सम्मान में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। निस्संदेह दोनों ही संस्थाओं के सहयोग से वैज्ञानिक चिंतन जाग्रत होगा। मुख्य वक्ता डॉ पी एस नेगी ने कहा हरेला ऋतु परिवर्तन का प्रतीक है। इसका वैज्ञानिक, सांस्कृतिक महत्व है। पर्यावरण के संरक्षण के लिये हरेला पर्व को बड़े स्तर पर मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ानी होगी। हरेला जैसे पर्वों को मनाये जाने की आवश्यकता है।


मुख्य अतिथि रूप में प्रो शेखर चन्द्र जोशी ने आयोजकों को बहुत बधाई दी। उन्होंने अंतरिक्ष को लेकर कहा कि हमें कुछ भी करने के किये अंतरिक्ष/स्प्स बहुत जरूरत है। हमारे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अंतरिक्ष में जाने के लिए मेहनत करें। उन्होंने हरेला पीठ के संरचनात्मक विस्तार को लेकर बात कही और सभी को बधाइयाँ दी। अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि हरेला पीठ और केंद्रीय संचार ब्यूरो के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी हमारे छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हुई है। प्रकृति के बीच हम रह रहे हैं, ऐसे में हरियाली के लिए प्रयास करने होंगे एवं अंतरिक्ष को लेकर हमारे वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं, जो वैज्ञानिक उपलब्धि है।

उन्होंने कहा कि प्रकृति सुरक्षित नहीं तो हम भी सुरक्षित नहीं है। प्रकृति के संरक्षण के लिए हरेला कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अंतरिक्ष विज्ञानियों ने अंतरिक्ष के गुह्य ज्ञान को सामने ला दिया है।इस अवसर पर आयोजित हुई निबंध,चित्रकला, पोस्टर से सम्बन्धित विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल आये प्रतिभागियों को दोनों संस्थाओं के अतिथियों ने सम्मानित किया।


उद्घाटन सत्र पर आभार डॉ धनी आर्या ने जताया और क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी नीरज कुमार भट्ट ने अंतरिक्ष प्रदर्शनी, जागरूकता कार्यक्रम के साथ प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यक्रम को सम्पन्न कराया। उन्होंने केंद्रीय ब्यूरो के अधिकारियों ने प्रसारण मंत्रालय के विषय में जानकारी दी।इस दो दिवसीय संगोष्ठी में हरेला पीठ के सदस्य डॉ माया गोला, डॉ. बचन लाल,डॉ धनी आर्या, डॉ बलवंत कुमार,डॉ संदीप कुमार, डॉ. आशा शैली, डॉ लता आर्या, डॉ तिलक जोशी, डॉ रवि कुमार , सपना, ऋषिकेश, भावना, आशा, देबराम, लक्ष्मण वृजमुख, गीता, भाष्कर जोशी,देवेन्द्र भट्ट, ने सहयोग दिया।


इस अवसर पर कुलानुशासक डॉ. दीपक कुमार, प्रो इला साह, प्रो.इला बिष्ट, प्रो ज्योति जोशी,डॉ एच.आर.कौशल (संकायाध्यक्ष,वाणिज्य), प्रो ए.के. नवीन (संकायाध्यक्ष, विधि),प्रो सोनू द्विवेदी (संकायाध्यक्ष,दृश्यकला),डॉ. गीता खोलिया,डॉ. ममता पंत,डॉ संजीव आर्या, डॉ. सबीहा नाज, डॉ रवि कुमार, डॉ संदीप कुमार, डॉ.आर सी मौर्य, डॉ प्रज्ञा वर्मा, डॉ गौरव कर्नाटक,जयवीर सिंह नेगी, विनीत कांडपाल, लक्ष्मण वृजमुख, देब राम, डॉ भुवन चन्द्र, डॉ. लता आर्या, डॉ प्रतिभा फुलोरिया, डॉ. चंद्रप्रकाश फुलोरिया,डॉ. भुवन आर्या, डॉ कुसुमलता आर्या, डॉ लक्ष्मी वर्मा, डॉ दीपक टम्टा, डॉ पवन जोशी, डॉ तिलक जोशी, डॉ प्रमेश टम्टा, डॉ सुनीता कश्यप, डॉ शैली, डॉ प्रेमा खाती, डॉ प्रियंका पांडे,डॉ राजेश राठौर केंद्रीय संचार ब्यूरो के सदस्यों के साथ परिसर के सभी विभागों के विद्यार्थी, शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।

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