जौलजीबी में मासूम बच्ची के साथ 2014 में हुए दुष्कर्म और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्य आरोपित को बरी किए जाने के बाद सीमांत क्षेत्र जौलजीबी में भी आक्रोश फूट पड़ा। रविवार को नेपाल सीमा से लगे इस कस्बे में लोगों ने सड़कों पर उतरकर नन्ही कली को न्याय दो, हत्यारे को फांसी दो, जैसे नारों के साथ जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में जौलजीबी और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। जुलूस के रूप में बाजार में प्रदर्शन करते हुए लोगों ने सरकार और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए। वक्ताओं ने कहा कि एक मासूम बच्ची के साथ हुई हैवानियत के बाद भी मुख्य अभियुक्त का बरी हो जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और असहनीय है। यदि जल्द इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर न्याय की प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं की गई, तो आंदोलन को गांव-गांव तक फैलाया जाएगा।
धरना-प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने चेताया कि यह सिर्फ एक बच्ची नहीं, पूरे समाज के भरोसे पर हमला है। अब ग्रामीण चुप नहीं बैठेंगे और न्याय के लिए संघर्ष लगातार जारी रहेगा। प्रदर्शन में व्यापार मंडल अध्यक्ष धीरेंद्र धर्मशक्तू, पूर्व विधायक गगन रजवार, पूर्व प्रधान खगेंद्र कुमार अवस्थी, तीलू रौतेली पुरस्कार विजेता शकुंतला दताल, बसंती दास, ललिता पतियाल, हंसा जंगपांगी, कमलेश अन्ना, कमलेश जोशी, बीडीसी सदस्य शैलेष पाल, उमेश चंद, दीना चंद, गजेंद्र पतियाल, शोभा रजवार, नीतू कन्याल, मंदिर कमेटी के मनोज भट्ट आदि मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों ने तीव्र शब्दों में चेतावनी दी कि यदि दोषियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू नहीं की गई, तो सीमांत क्षेत्र में जनआंदोलन और तेज किया जाएगा।