देश में ग्राम सभाओं की प्रक्रिया शुरु हुए साढ़े छह दशक से अधिक समय बीत गया है।1992 में 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा मिला है। गठन से अब तक लमगड़ा ब्लॉक की नैनी जिफल्टा ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव नहीं हुआ है। सर्वसम्मति से ही ग्रामीण ग्राम प्रधान चुनते आ रहे हैं। वर्तमान चुनाव में भी यह परंपरा जारी है।
लोकतंत्र में ग्राम पंचायतें गांवों के स्वशासन की संवैधानिक इकाई हैं। करीब 60 के दशक में सरकार ने देश में ग्राम सभाओं के गठन की प्रक्रिया शुरू की। 1992 में 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा मिला है। हर पांच वर्ष बाद त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रतिनिधियों का चुनाव कराना सरकारों की संवैधानिक बाध्यता है। अधिकांश पंचायती पदों पर चुनाव के दौरान घमासान रहता है। प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य पद पर आसीन होने के लिए उम्मीदवार तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं अपवाद स्वरूप कई ग्राम पंचायत सर्वसम्मति से प्रधान चुन लेते हैं।
ग्राम सभाओं के गठन और वर्तमान में ग्राम पंचायत बनने की यात्रा में लमगड़ा ब्लॉक की नैनी जिफल्टा गांव में प्रधान पद के लिए चुनाव नहीं हुआ है। यहां ग्राम पंचायत की चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही ग्रामीणों की बैठक होती है। बैठक में सर्वसम्मत से एक ग्रामीण का प्रधान पद के लिए चयन किया जाता है। इसके बाद कोई भी अन्य व्यक्ति प्रधान पद पर चुनाव के लिए नामांकन नहीं करता है। सबसे पहले शेर सिंह को इस गांव का निर्विरोध प्रधान चुना गया। उसके बाद मदन सिंह प्रधान बने और लगातार चार कार्यकाल में उन्होंने ग्राम प्रधान का दायित्व निर्वहन किया।
इसके बाद लक्ष्मण सिंह, दीवान सिंह, खड़क सिंह, राम सिंह, दीपा देवी निर्विरोध प्रधान चुनीं गई। 2019 में मदन सिंह को प्रधान चुना गया। 2024 में प्रधान पद अन आरक्षित है। ग्रामीणों ने बैठक कर मदन सिंह को ही फिर से निर्विरोध प्रधान चुन लिया है। चुनावी प्रक्रिया के तहत प्रधान पद के लिए एकमात्र नामांकन मदन सिंह द्वारा भरा जाएगा। जांच में नामांकन सही पाए जाने पर उनका निर्विरोध प्रधान चुना जाना तय है। गांव में पंचायत गठन से अब तक करीब साढ़े छह दशक बाद भी प्रधान पद पर निर्विरोध निर्वाचन वर्तमान दौर में बड़ी बात है।