पीपुल फार एथिकल ट्रीटमेंट आफ एनीमल (पेटा) ने देहरादून के विकासनगर में पिटबुल के हमले में एक महिला के गंभीर रूप से घायल होने का संज्ञान लेते हुए हमलावर नस्ल के श्वान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। वैश्विक संस्था की ओर से उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर यह मांग उठाई गई है। साथ ही ऐसे आक्रामक श्वान पालने वालों पर कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है।
राजधानी देहरादून के विकासनगर में करीब एक सप्ताह पूर्व एक पिटबुल कुत्ते के हमले में 50 वर्षीय महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। इस हमले में महिला को ब्रेन हैमरेज हुआ और वह अस्पताल में जीवन-मौत के बीच संघर्ष कर रही हैं। इस घटना ने विदेशी आक्रामक नस्लों के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को बल दिया है।
पशु अधिकारों के पैरोकार संगठन पेटा इंडिया ने इस घटना के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार से पिटबुल और अन्य हमलावर नस्लों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है। संस्था ने प्रदेश के मुख्य सचिव आनंद वर्धन को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि राज्य में पिटबुल, रोटवाइलर, डोगो अर्जेन्टीनो, केन कोर्सो और बुली कुट्टा जैसी नस्लों के पालन, प्रजनन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। पेटा इंडिया का कहना है कि ये नस्लें हमलावर प्रवृत्ति की होती हैं। अक्सर अवैध डाग फाइटिंग जैसे हिंसक खेलों में इस्तेमाल की जाती हैं।
संस्था ने आरोप लगाया है कि इन्हें जानबूझकर आक्रामक बनाने के लिए भारी जंजीरों में बांधकर, कान और पूंछ काटकर अमानवीय तरीके अपनाए जाते हैं, जो न केवल पशु क्रूरता है, बल्कि जन सुरक्षा के लिए भी खतरा है। पेटा ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि गोवा और चंडीगढ़ पहले ही ऐसे नस्लों पर प्रतिबंध की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं, जबकि गाजियाबाद, कानपुर और पंचकूला नगर निगमों ने पिटबुल जैसे खतरनाक कुत्तों पर प्रतिबंध लागू कर दिया है।संस्था ने उत्तराखंड से भी इसी तरह का निर्णय लेने की मांग की है। यह मामला एक बार फिर उस नाजुक संतुलन को लेकर बहस छेड़ चुका है, जिसमें एक ओर पशु अधिकारों की रक्षा है और दूसरी ओर जनता की सुरक्षा। बढ़ती घटनाओं ने साफ कर दिया है कि आक्रामक प्रवृत्ति वाली नस्लों का अनियंत्रित पालन समाज के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
- पिटबुल और अन्य आक्रामक नस्लों के पालन, बिक्री और प्रजनन पर प्रतिबंध
- सभी पालतू कुत्तों का पंजीकरण और नसबंदी अनिवार्य किया जाए
- एक निश्चित तिथि के बाद हमलावर नस्लों के कुत्तों को गैरकानूनी घोषित किया जाए
- अवैध पेट शाप्स और ब्रीडर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।