आज केंद्रीय परिवहन व सड़क, राज्य मंत्री अजय टम्टा ने पत्रकारों के समक्ष कहा कि “कांग्रेस पार्टी द्वारा भारतीय संविधान और संवैधानिक संस्थाओं पर किए गए व्यवस्थित हमले”। यह कोई आरोप नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दस्तावेजों और तथ्यों कर आधारित एक कड़वी सच्चाई है, जिसे जानना हर भारतीय का अधिकार है। इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल (1975) थोपा और लोकतंत्र की हत्या की, 25 जून 1975 का इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा अपने चुनाव को अमान्य घोषित किए जाने के बाद देश पर आपातकाल थोपा जो 19 महीने तक चला । 22 जुलाई 1975 को संविधान का 38 वाँ संशोधन करके आपातकाल को न्यायिक समीक्षा में बाहर कर दिया गया। सितंबर 1975 में इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाए रखने के लिहाज से संविधान का, 39 वां संशोधन किया गया।
7 सितंबर 1976 को 41 वें संविधान संशोधन में प्रधानमंत्री, राज्यपाल और राष्ट्रपति, के खिलाफ पद छोड़ने के बाद भी कोई मामला दर्ज नहीं किया जाने का संशोधन किया। वर्ष 1977 में 42 वें संशोधन ने संविधान की मूल संरचना को बदल दिया। इंदिरा गांधी ने निर्वाचन आयोग और न्यायपालिका को कमजोर करने के प्रयास किया। लाखों लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में ठूंस दिया गया। अखबारों पर सेंसरशिप और मौलिक अधिकारों का हनन किया गया। इतना ही नहीं, संविधान में मनमाने संशोधन भी किए गए ,42 वाँ संशोधन(1976),संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्द जोड़े गए, जबकि संविधान सभा में इनकी कोई माँग नहीं थी। संसद का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 6 वर्ष करने का प्रयास (बाद में वापस लिया गया)। इस संशोधन को “लघु संविधान” कहा गया, क्योंकि इसमें 50 से भी ज्यादा अनुच्छेदों में बदलाव किया गया।
वर्ष 2009 में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी. डी. दिनाकरन पर महाभियोग चलाने के लिए राज्यसभा के 75 सांसदों ने सभापति हामिद अंसारी को पत्र सोमा। वर्ष 2011 में कोलकाता हाई कोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था तब भी केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। सुपर पीएम के तौर पर सोनिया गांधी का उदय हुआ, जबकि चुने हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दरकिनार किया गया। गांधी परिवार को विशेष दर्जे के लिए कानून की मांग, प्रमोद तिवारी (कांग्रेस नेता का बयान 2023) गांधी परिवार के लिए अलग कानून होने चाहिए। संविधान का अनुच्छेद 14, कानून के समक्ष समानता का मखौल उड़ाने का प्रयास किया गया।
कांग्रेस और उसकी नीतियां बताने के लिए ये पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं कि, न हम विधान को मानेंगे, न संविधान को मानेंगे। जिस दर पर देश ठहरता ही, हम रार वहीं पर ठानेंगे। केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि बीजेपी के लिए, सबिधान की रक्षा हमारा संकल्प है, जबकि काग्रेस का संविधान को कमजोर करने, संस्थाओं को नष्ट करने और लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने का इतिहास रहा है। आज भी वह राष्ट्रपति, सेना और न्यायपालिका पर अकारण हमले करती है। इतना ही नहीं इनके नेता राहुल सधी वैश्विक मंचों पर देश को अपमानित करने का एक भी अवसर नहीं छोड़ते। जबकि भाजपा का स्पष्ट संदेश है, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय संविधान।