अब नैनीताल में आने वाले वाहनों से नैनीताल एंट्री टैक्स नाम से बढ़ा हुआ शुल्क लेगी। इसके लिए भवाली, हल्द्वानी व कालाढूंगी मार्ग पर टैक्स वसूली बूथ भी बनाए जाएंगे। यह शुल्क यूपीआइ स्केनर कोड से वसूला जाएगा। इन सबके निर्धारण के लिए पालिका बायलाज में संशोधन भी किया जाएगा।लेक ब्रिज चुंगी व कार पार्किंग की टेंडर प्रक्रिया के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर नगर पालिका की ओर से हाई कोर्ट में यह जानकारी दी गई। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में लेक ब्रिज चुंगी व कार पार्किंग के टेंडर प्रक्रिया को चुनौती देती दीवान फर्त्याल, सुमित जेठी व ठाकुर इंटरप्राइजेज की याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
इस दौरान पालिका के अधिशासी अधिकारी दीपक गोस्वामी कोर्ट में मौजूद रहे और पालिका की ओर से मामले में विस्तृत जवाब पेश किया गया। बताया गया कि नैनीताल में लेक ब्रिज चुंगी व कार पार्किंग के टेंडर पहले ही निरस्त कर दिए हैं और आगे इनके ठेके नहीं होंगे। इनका संचालन नगरपालिका अब स्वयं सहायता समूहों की मदद से स्वयं करेगी।
वर्तमान में 120 रुपये लेक ब्रिज टैक्स को पालिका 500 रुपये प्रति वाहन करने पर विचार कर रही है। केवल स्केनर कोड से वसूला जाएगा शुल्क हाई कोर्ट ने नगर पालिका को नैनीताल एंट्री टैक्स केवल यूपीआइ स्कैनर कोड के माध्यम से वसूल करने के निर्देश दिए हैं। ताकि वसूली बूथों में शुल्क लेनदेन के कारण अनावश्यक जाम से बचा जा सके। पालिका की ओर से नेटवर्क की समस्या के कारण आनलाइन चुंगी वसूली प्रक्रिया में परेशानी का हवाला दिया लेकिन कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना।
सुनवाई के दौरान नगरपालिका की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पालिका में कर अधीक्षक व निरीक्षक, सफाई अधीक्षक व निरीक्षक, लेखाकार, सहायक लेखाकार सहित आठ महत्वपूर्ण पद रिक्त होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है। जिस पर कोर्ट ने सचिव शहरी विकास को इन पदों को शीघ्र भरने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इन दिशा निर्देशों पर अगली सुनवाई तिथि 17 अप्रैल से पूर्व प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने नैनीताल में वाहनों की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कुमाऊं के पुलिस महानिरीक्षक को यातायात प्लान के ब्यौरे के साथ 17 अप्रैल को पेश होने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने अधिवक्ताओं व नैनीताल की प्रबुद्ध जनता से भी शहर में यातायात व्यवस्था सामान्य बनाने को लेकर सुझाव देने को कहा है। यातायात समस्या के कारण व उसके समाधान के उपाय शपथपत्र के साथ हाई कोर्ट में देने होंगे।