मार्च माह में ही पेेयजल स्रोतों में पानी का स्तर कम होने से जल संस्थान के सामने चुनौती पैदा हो गई है। जिन क्षेत्रों में नलों से हर रोज पानी की आपूर्ति हो रही थी वहां अब दूसरे से तीसरे दिन पानी दिया जा रहा है।
पेयजल समस्या से सबसे अधिक परेशानी लोहाघाट नगर के लोगों को उठानी पड़ रही है। नगर के विभिन्न वार्डों में तीसरे और चौथे दिन पानी मिल रहा है। विभाग ने शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों के जरिए पानी बांटने की योजना तैयार की है। अत्यधिक किल्लत वाले क्षेत्रों में विभागीय वाहनों एवं पिकप से पानी बांटा जाएगा।
जल संस्थान के ईई बिलाल यूनुस ने बताया कि जिले के विभिन्न जल स्रोतों में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट आई है। पर्याप्त वर्षा होने पर अभी भी स्रोत रिचार्ज हो सकते हैं। वर्षा नहीं हुई तो जल स्तर कम होने का सिलसिला बढ़ता जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिले की सभी पेयजल योजनाओं से पानी की आपूर्ति हो रही है।
कहीं नियमित तो कहीं दूसरे या फिर तीसरे दिन पानी दिया जा रहा है। नगरीय तथा ग्रामीण इलाकों में वाहनों से पानी बांटने के लिए विभाग ने योजना तैयार कर ली है। चंपावत, लोहाघाट के अलावा पाटी एवं बाराकोट में भी वाहनों से पानी बांटकर लोगों की समस्या का समाधान किया जाएगा।इधर जल संस्थान लोहाघाट के सहायक अभियंता पवन बिष्ट ने बताया कि लोहाघाट नगर में प्रतिदिन 2160 केएल पानी की जरूरत है, लेकिन 475 केएल पानी ही पेयजल योजनाओं से मिल रहा है। चौड़ी लिफ्ट पेयजल योजना से 400 केएल, बनस्वाड़ योजना से 15 केएल, ऋषेश्वर टयूबवैल और फोर्ती गधेरे से 30-30 केएल पानी मिल पा रहा है। जबकि चार माह पूर्व तक बनस्वाड़, ट्यूबवैल और फोर्ती गधरे से बनी योजनाओं में प्रत्येक से 200 से लेकर 250 केएल पानी मिल रहा था।
उन्होंने बताया कि पिछले सात-आठ माह से जल स्रोतों को रिचार्ज करने लायक वर्षा नहीं हो पाई है, जिससे जल स्रोतों में पानी की कमी हो गई है। इधर चंपावत नगर के लिए बनी क्वैराला पंपिंग योजना के स्रोत में भी पानी की कमी आने लगी है। हालांकि अभी योजना से पर्याप्त पानी मिल रहा है। समय पर जरूरत के अनुसार वर्षा नहीं हुई तो इस योजना से भी पानी की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।चंपावत के सीमांत मंच तामली में मार्च शुरू होते ही पेयजल संकट पैदा हो गया था, जो गर्मी बढऩे के साथ और तेज होता जा रहा है। लोहाघाट के अक्कल धारे और नर्सरी धारे की धार भी पतली होनी शुरू हो गई है। राहत की बात यह है कि अधिकांश लोग नौलों व हैंडपंपों के सहारे प्यास बुझा रहे हैं।